हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी के रूप में पूजा जाना जाता है। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी की कृपा जिस भी व्यक्ति पर होती है, उसके घर में कभी अन्न धन का अभाव नहीं होता है। देवी लक्ष्मी के आठ रूपों को अष्ट लक्ष्मी कहा जाता है। देवी अष्ट लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए एक विशेष यंत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसे अष्ट लक्ष्मी यंत्र कहा जाता हैं। विशेष रूप से नवरात्रि और दिवाली के समय इस यंत्र के पूजन का खास महत्व है। लेकिन आखिर यह यंत्र आपके लिए कैसे लाभकारी हो सकता है? आइए, समझते हैं।
अष्टलक्ष्मी यंत्र एक ऐसा दिव्य यंत्र है, जिसमें देवी लक्ष्मी के आठ रूपों का आशीर्वाद समाहित है। हर रूप समृद्धि के एक 8 विभिन्न स्त्रोत का प्रतीक है। इसमें धन, पोषण, स्वास्थ्य, साहस, ज्ञान, संतान, विजय और सौभाग्य शामिल हैं। यदि इस यंत्र को विधिपूर्वक स्थापित किया जाए, तो यह उस स्थान को समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों के नाम इस प्रकार हैं-
1. आदि लक्ष्मी
देवी आदि लक्ष्मी मां के पहले स्वरुप रूप के रूप में जानी जाती हैं। यह देवी, धन और शांति प्रदान करती हैं।
2. धन लक्ष्मी
देवी अष्टलक्ष्मी के इस स्वरुप कि पूजा आर्थिक तंगी दूर करने और आय बढ़ाने के लिए कि जाती है।
3. धान्य लक्ष्मी
धान्य लक्ष्मी भोजन और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। भोजन की आपूर्ति के लिए देवी धान्य लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती हैं।
4. गज लक्ष्मी
गज लक्ष्मी, देवी लक्ष्मी के आठ रूपों में से चौथे स्थान पर हैं। यह शक्ति, सम्मान और प्रतिष्ठा की देवी मानी जाती हैं।
5. संतान लक्ष्मी
संतान लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है।
6. वीरा लक्ष्मी
वीरा लक्ष्मी साहस, शक्ति और वीरता का प्रतीक मानी जाती हैं। उनके आर्शीवाद से जीवन की सभी चुनौतियों को पार किया जा सकता हैं।
7. विजय लक्ष्मी
देवी विजय लक्ष्मी के आशीर्वाद से जीवन के सभी क्षेत्रों, जैसे करियर, बिजनेस आदि में सफलता प्राप्त होती है।
8. विद्या लक्ष्मी
विद्या लक्ष्मी, देवी लक्ष्मी के आठ रूपों में से आखिरी स्थान पर हैं। यह देवी बुद्धि, शिक्षा और ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
अष्ट लक्ष्मी यंत्र के नियमित पूजन से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं-
अष्ट लक्ष्मी यंत्र को धन और समृद्धि का स्त्रोत माना जाता है। इस यंत्र (Ashta lakshmi Yantra) के पूजन से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। सौभाग्य और समृद्धि आकर्षित करने वाला यह यंत्र बिजनेस में अपार सफलता दिलाने के लिए जाना जाता है।
अगर आप दिवाली या नवरात्रि के दौरान नया बिजनेस या प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हैं, तो यह यंत्र बेहद प्रभावशाली साबित हो सकता है। इस यंत्र के पूजन से बिजनेस में आने वाली सभी बाधाएं स्वयं ही दूर होने लगती है।
अष्ट लक्ष्मी यंत्र की पूजा से देवी लक्ष्मी के सभी आठ स्वरूपों की कृपा प्राप्त होती है। यह वातावरण को शुद्ध करता है और आसपास एक पॉजिटिव ओरा क्रिएट करता है। इसके प्रभाव से तनाव, भय और चिंता जैसे नकारात्मक भावनाएं दूर हो जाती हैं।
धन संबंधी परेशानियों को दूर करने के साथ ही यह यंत्र ज्ञान और बुद्धि में भी वृद्धि करता है। इसके नियमित पूजन से सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है। जिससे जीवन में बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है। खासतौर पर, यह यंत्र स्टूडेंट्स के लिए अत्यंत लाभकारी है।
देवी लक्ष्मी को अन्न, पोषण और प्रचुरता की देवी माना जाता है। अष्ट लक्ष्मी यंत्र की नियमित पूजा से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो आप इस यंत्र की स्थापना कर, प्रतिदिन इसका पूजन करें।
इसके अलावा, अष्ट लक्ष्मी यंत्र (Ashta lakshmi Yantra benefits) के पूजन से कभी घर में भोजन की कमी नहीं होती है। आप इसे स्थापित करने से पहले किसी अनुभवी पंडित से परामर्श ले सकते है।
1. श्री अष्टलक्ष्मी यंत्र को घर की पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए।
2. प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा के लिए कम से कम 11 बार मंत्र का जाप करें।
3. ध्यान रखे की मंत्र जाप के समय आपका मन एकाग्र और स्थिर रहे।
4. आप अपने घर के मुख्य द्वार के पास भी श्री अष्टलक्ष्मी यंत्र रख सकते है।
5. श्री अष्ट लक्ष्मी यंत्र कि स्थापना आप अपने पूजा घर या ऑफिस में कर सकते हैं।
श्री अष्ट लक्ष्मी यंत्र का उपयोग करने से पहले, यह ज़रूरी है कि इसे सिद्ध और अभिमंत्रित किया जाए। इसके लिए आप यहां दिए आसान स्टेप्स को फॉलो कर सकते है-
• दिशा
यंत्र को पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। उत्तर-पूर्व वास्तु के अनुसार सबसे शुभ दिशा है।
• शुद्धिकरण
यंत्र को गंगाजल या कच्चे दूध से साफ़ करें। फिर इसे एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें।
• पुष्प और नैवेद्य
यंत्र के पास घी का दीपक या धूप जलाएं। साथ ही लाल रंग के फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
• मंत्र जाप
अब देवी लक्ष्मी को समर्पित इस विशेष मंत्र का जाप करें-
'ॐ धनलक्ष्म्यै नमः'
• नियमित पूजन
इस बात का विशेष ध्यान रखे की यंत्र स्थापना के बाद नियमित इसका पूजन करें।
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